आज का छात्र जीवन इतना संघर्ष पूर्ण क्यों ?

 


हेलो दोस्तों ,

                हम सभी मनुष्य, जीवन भर छात्र रहते हैं चाहें ज्ञान सीखने के लिए स्कूल का छात्र या कॉलेज का छात्र ,या जीवन को जीना सिखने वाला छात्र। हम किसी न किसी तरह से पूरी जिंदगी भर किसी न किसी से कुछ ना कुछ सीखते ही रहते हैं। क्योंकि यही मनुष्य की फितरत रही हैं कि चीजों को सीखना। मनुष्य जितना ज्यादा सीखता हैं वह उतना ही ज्यादा विकास करता जाता हैं।

                 किसी भी काम या फिर आपके पढ़ाई से सम्बंधित कोई काम को करने का विज्ञान तो एक ही होता हैं परन्तु उस काम को करने के ढ़ेर सारे अलग - अलग तरीके होते हैं इन्ही तरीको के आधार पर ही कोई व्यक्ति या छात्र किसी काम को ज्यादा समय लेकर पूरा करता हैं तो कोई व्यक्ति या छात्र इसे कम समय में पूरा कर देता हैं। अतः कोई काम कितना कठिन होगा या कितना सरल होगा यह उस काम के तरीकों पर निर्भर करता हैं। क्योंकि कहा जाता हैं कि कोई कम तब तक कठिन होता हैं जब तक वह पूरा न हो जाये।

 

छात्र जीवन की महत्वपूर्ण बिंदु :-

१. नई कक्षा, नया विषय, नया सिलेबस -

                     जब छात्र नयी कक्षा में प्रवेश लेते हैं या कहा जाए की कुछ नया सिखने के लिए जाते हैं तो उनके मन में ढ़ेर सारी शंका, उत्सुकता और प्रश्न होते हैं। जब छात्र नई कक्षा में जाते हैं तथा नया विषय या नया सिलेबस देखते हैं तो उनको ये सभी चीजे समझने में कुछ समय लगता हैं और जाहिर हैं किसी छात्र को कम समय लगता हैं तो किसी को ज्यादा समय लगता हैं। जो छात्र नए माहौल के रूप में खुद को ढाल लेता हैं उनके लिए आगे का रास्ता कुछ हद तक सहज हो जाता हैं परन्तु कुछ छात्र खुद को उस वातावरण में ढालने में बहुत ज्यादा समय लगाते हैं और ये भी कहना गलत नहीं होगा की कई छात्र अपने आप को उस वातावरण में ढाल ही नहीं पाते और सालों साल इसके लिए संघर्ष करते रहते हैं इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे - छात्र में आत्मविश्वाश की कमी का होना, स्वयं को दुसरो से कमतर आंकना, या अपने पारिवारिक समस्याओं को हमेशा स्वयं के साथ जोड़ कर रखना।

 

२. नए दोस्त बनाना  -

                    हर छात्र के जीवन में मित्र का एक महत्वपूर्ण स्थान होता हैं एक अच्छा मित्र सदैव अपने साथी की आगे बढ़ने में सहायता करता हैं। छात्र जब नई कक्षा में जाते हैं तब उनका सामना कई नए छात्रों से होता हैं शुरुआती समय में छात्र एक दूसरे से मित्रता करने में हिचकिचाते हैं लेकिन उनकी योजनाएँ या विचार एक जैसे होने पर वे मित्र बन जाते हैं और बाकि जिनकी योजनाएँ या विचार उनसे नहीं मेल खाते वे सिर्फ सहपाठी ही बने रह जाते हैं। परन्तु यह कहना गलत नहीं होगा की कुछ मित्र सिर्फ मनोरंजन की लिए ही बन जाते हैं न ही उनकी योजनाएँ उन छात्रों से मेल खाती और न ही उनके विचार आपस में मेल खाते। अतः नयी जगहों में नए लोगो से मित्रता करना एक चुनौती भरा कार्य होता हैं।

 

३. कक्षा के वातावरण में खुद को ढालना -

                     ऊपर हमने जाना की नई कक्षा या नया माहौल एक छात्र के लिए काफी चुनौतियों भरा होता हैं परन्तु समय के साथ छात्र उन माहौल में स्वयं को ढाल ही लेते है। कुछ छात्र को इसके लिए कम समय लगता हैं तो कुछ को ज्यादा समय। नए माहौल में खुद को ढालने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं कि आप उस वातावरण को स्वयं के लिए स्वीकार करे और खुद को उस वातावरण से अलग न समझे। छात्र को अपनी कक्षा में चलने वाली लगभग सभी गतिविधियों ( जैसे - पढ़ाई से सम्बंधित, खेल से सम्बंधित आदि ) में सक्रीय रूप से जुड़े रहना चाहिए जिससे उसे कक्षा के वातावरण में ढलने में जरा सा भी समय नहीं लगेगा। 

 

४. परीक्षा की चिंता 

                     परीक्षा की चिंता सभी छात्रों को होती हैं क्योकि यह कहना गलत नहीं होगा की संसार के किसी भी मनुष्य को परीक्षा देना पसंद नहीं हैं। हर छात्र चाहे वह टॉपर ही क्यों न हो परीक्षा शब्द से सबको भय लगता हैं। आज के समय में कोई परीक्षा किसी छात्र की क़ाबलियत बताये या न बताये परन्तु बहुत छात्रों की कमजोरी जरूर उजागर कर देती हैं इससे उन छात्रों के आत्मविश्वाश और मनोभाव पर गहरा प्रभाव पड़ता हैं। अच्छे छात्र अपनी इस चिंता पर काबू करके रखते हैं वे इसे अपने ऊपर हावी होने नहीं देते हैं। परीक्षा की चिंता को दूर करने का सबसे कारगर तरीका हैं उस विषय का निरंतर अभ्यास करना और समय कम होने पर कुछ महत्वपूर्ण उपाय करके भी कम समय में परीक्षा की अच्छी तैयारी करके चिंता से मुक्ति पायी जा सकती हैं। 

 

 

५. परिणाम या रिजल्ट की चिंता -

                    यह तो वही बात हो गयी की एक मुसीबत गयी और फिर दूसरी मुसीबत आ गयी। यकीन मानिये दोस्तों सभी छात्रों को अपने परिणामों की बहुत चिंता होती हैं किसी को अच्छे नम्बर लाने की तो किसी को पास होने की। सभी छात्रों की चिंता स्वाभाविक ही होती हैं क्योंकि आपका परिणाम ही आपके आत्मविश्वास और मनोभाव की रूप रेखा तैयार करेगा। लेकिन यह भी बताना आवश्यक हैं की परीक्षा के परिणाम की चिंता सिर्फ स्वयं के कारण ही नहीं होती हैं कई बार इसके लिए हमारा समाज, रिश्तेदार और दोस्त यार भी जिम्मेदार होते हैं। अधिकतर छात्रों को इन सभी वातावरण से गुजरना पड़ता हैं जिससे उनके परीक्षा के परिणाम की चिंता और भी बढ़ जाती हैं। कई बार परिवार तथा दोस्तों की ज्यादा अपेक्षाएं चिंता के कारण बन जाते हैं। अतः परीक्षा के परिणाम की चिंता को दूर करने के लिए छात्रों को अपने आत्मविश्वास को दृढ़ करना होगा तथा एक बात और याद रखनी चाहिए की कोई परीक्षा जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं होती हैं।


    इन सभी बिन्दुओ से ज्ञात होता हैं कि एक छात्र का जीवन कितना संघर्ष पूर्ण और कठिन होता हैं लेकिन हम अपने छात्र जीवन की कुछ बिंदुओं में अगर सुधर कर लेते हैं तो आगे के रास्ते कुछ सहज हो जाते हैं। 


यदि आपको यह बातें अच्छी लगी तो अपने मित्रों को भी बताए। . . . . धन्यवाद।


 

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